मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में विश्वकर्मा जयंती विधिविधान से मनाई गई। संस्कृति स्कूल आफ इंजीनियरिंग विभाग की कार्यशाला में भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दौरान मंत्रोच्चार के साथ हवन में आहुतियां दी गईं। शुक्रवार को पड़ने वाले सर्वार्थ सिद्धि योग के चलते इस पूजन का विशेष महत्व बन गया।
संस्कृति इंजीनियरिंग स्कूल की कार्यशालाओं में आज प्रातः से ही इस विशेष अवसर पर मशीनों, औजारों का भी पूजन किया गया। ऐसा माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा पहले वास्तुकार और इंजीनियर हैं, इन्होंने ही स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारिका नगरी, यमपुरी, कुबेर पुरी आदि का निर्माण किया था। विश्वकर्मा जी को ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र के रूप में भी माना जाता है।
भगवान विश्वकर्मा ही ऐसे देवता हैं जो हर काल में सृजन के देवता रहे हैं व सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी चीजें सृजनात्मक हैं, जिनसे जीवन संचालित होता है वह सब भगवान विश्कर्मा की देन है। अत: इसी श्रद्धा भाव से किसी कार्य के निर्माण और सृजन से जुड़े हुए लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करते हैं।
पूजन के दौरान संस्कृति विश्वविद्यालय के डाइरेक्टर जनरल प्रोफेसर एसपी पांडे, कुलपति डा.राणा सिंह, रजिस्ट्रार पूरन सिंह, संस्कृति स्कूल आफ इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष विनसेंट बालू, संस्कृति स्कूल आफ मैनेजमेंट एंड कामर्स के विभागाध्यक्ष डा. सीपी वर्मा के अलावा अन्य अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।