Wednesday, May 15, 2024
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संस्कृति आयुर्वेदिक अस्पताल में कराहते लोगों को मिली दर्द से मुक्ति


संस्कृति आयुर्वेद कालेज में लगा तीन दिवसीय विशेष शिविर


मथुरा। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के आर्थो और इस्पाइनल डिसओर्डर(शल्यतंत्र) विभाग द्वारा तीन दिवसीय विशेष चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। तीन, चार और पांच फरवरी को आयोजित इस विशेष शिविर में केरल के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा परंपरागत चिकित्सा पद्धति को अपनाकर बिना सर्जरी और स्टेरायड के असाध्य रोगों का निदान किया गया और दर्द से कराहते लोगों को राहत की सांस दिलाई।

यह विशेष चिकित्सा शिविर राजीव गांधी आयुर्वेदा मेडिकल कालेज पांडुचेरी पूर्व प्राचार्य एवं केरलीय मर्मा विशेषज्ञ डा. एनवी श्रीवत्स के देखरेख में लगाया गया। शिविर में दूर-दराज से आए अनेक मरीजों में 25 रोगी ऐसे थे जो किसी न किसी रोग के कारण लंबे समय से परेशान थे। शिविर में डा. वत्स ने स्वयं मरीजों को देखा और रोगों के निदान बताए। किसी के घुटनों में दर्द था तो कोई कंधे के दर्द से कराह रहा था। शिविर में विशेष रूप से सर्वाइकल स्पांडलाइटिस, लंबर स्पांडलाइटिस, लिगामेंट इंज्यूरी, स्पाइनल इंज्युरी, शियाटिका, फ्रोजन शोल्डर, आस्टियो अर्थराइटिस, टेनिस एल्बो, कार्पल टनल सिंड्रोम, फ्रेक्चर एंड डिसलोकेशन जैसे मर्जों की चिकित्सा की गई। ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को योग और खानपान के तरीके बताने के साथ-साथ आयुर्वेद की विशेष औषधियों के सेवन की सलाह दी गई।

बताते चलें कि अत्याधुनिक मशीनों से युक्त इस केंद्र में शरीर संबधी अनेक विकारों का निदान किया जा रहा है।
केरलीय चिकित्सा के विशेषज्ञ डा. वत्स ने बताया कि हमारी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति आदिकाल से आज तक मानवजीवन को खुशहाल बनाती आई है। मुख्य बात यह कि आयुर्वेद को अपना कर मनुष्य अपने शरीर को ऐसा बना सकता है कि उसपर बीमारियां हावी नहीं हो सकतीं। आयुर्वेद के द्वारा बीमारी की जड़ को ढूंढकर उसका निदान किया जाता है। आज भी इसका उतना ही महत्व है जितना कि आदिकाल में था। हमारी परंपरागत चिकित्सा पद्धति हमारे शरीर को बीमारियों से दूर रखती है। बीमारी होने पर उसकी तह तक जाकर निदान के तरीके अपनाती है। शरीर के दर्दों से मुक्ति पाने के लिए यह सबसे सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है।

उन्होंने बताया कि मर्म चिकित्सा वास्तव में अपने अंदर की शक्ति को पहचानने जैसा है। डा0 वत्स का कहना है कि शरीर की स्वचिकित्सा शक्ति (सेल्फ हीलिंग पॉवर) ही मर्म चिकित्सा है। डा. वत्स के अलावा शिविर में संस्कृति आयुर्वेद कालेज के विशेषज्ञ चिकित्सकों में डा. रमेश हरीमोहन, डा. अनूप साची, डा. वीना के.नंबियार, डा.काव्या, डा. लिया अब्राहम आदि ने मरीजों की जांच की एवं परामर्श दिया।

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