Friday, May 3, 2024
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जाने-माने कवियों ने जी.एल. बजाज में जमाया रंग


काव्य-पाठ पर जमकर झूमे, प्राध्यापक, छात्र-छात्राएं और कर्मचारी

मथुरा। उत्तर प्रदेश के जाने-माने कवियों पंकज प्रखर, पंकज सिद्धार्थ, प्रमोद पंकज और कवयित्री शिखा श्रीवास्तव ने जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में लोक परम्पराओं से लेकर सामाजिक विकास, महिला प्रोत्साहन, सामाजिक क्षरण आदि पर अपने सस्वर काव्य-पाठ से ऐसा समां बांधा कि लगभग तीन घण्टे तक संस्थान के प्राध्यापक, छात्र-छात्राएं और कर्मचारी तालियों की गड़गड़ाहट के बीच झूमते नजर आए। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया।

जी.एल. बजाज मथुरा के होली मिलन समारोह में वाणी के सरताजों ने जहां अपनी वाणी से ब्रज की खूबियों का बखान किया वहीं विकास, पलायन, भ्रष्टाचार, देशद्रोह समेत अन्य सामाजिक विकृतियों पर तंज भी कसे। कवि सम्मेलन का संचालन वीर रस के सशक्त हस्ताक्षर मऊ उत्तर प्रदेश के कवि पंकज प्रखर ने बहुत ही चुटीले और मनमोहक अंदाज में किया। संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि एक कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से न सिर्फ मौजूदा सामाजिक परिवेश को इंगित करता है वरन कई कमियों को भी रचना के माध्यम से प्रकट करता है। उन्होंने कवियों और कवयित्री का पगड़ी पहनाकर स्वागत किया।

कवि पंकज सिद्धार्थ ने अपना काव्य-पाठ कुछ यूं किया- मुझको उल्फत मुहब्बत का इकरार है, मुझको नफरत अदावत से इंकार है, मैं हूं इंसान, इंसानियत हूं लिए, हर किसी से मुझे मेल-व्यवहार है। लखनऊ से आईं कवयित्री शिखा श्रीवास्तव ने अपनी रचना कुछ यूं सुनाई- वेदना मेरे मन में मचलती रहें, गीत बन-बन के यूं ही निकलती रहें। इस अंधेरे में अब रोशनी के लिए, ये शिखा रात भर यूं ही जलती रहें। उन्होंने श्रोताओं की मांग पर अपनी दूसरी रचना कुछ यूं बयां की- तेरी चाहत की जब मेहरबानी हुई, मेरे दिल की फ़ज़ा धानी धानी हुई। कोई मीरा से जाकर के पूछता, ये शिखा प्यार में क्यों दीवानी हुई।

बाराबंकी से पधारे प्रमोद पंकज ने अपने हास्य और चुटीले काव्य-पाठ से सभी को जहां लोट-पोट किया वहीं उन्होंने ब्रज की होली पर कुछ यूं सस्वर पाठ किया- आज बिरज में होली रे रसिया, होली रे होली रे बरजोरी रे रसिया। अपने अपने घर से निकसी, कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया, आज बिरज में होली रे रसिया। इसके बाद युवा ओजस्वी कवि पंकज प्रखर ने कुछ जयचंदों और जाफरों से भारत शर्मिंदा है, भूल न जाना इस धरती पर वीर हमीद भी जिंदा है, देशप्रेम से ओतप्रोत कविता से युवाओं में जोश भरा। पंकज प्रखर ने नारी शक्ति की महत्ता पर भी अपने काव्य-पाठ से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन मोहम्मद मोहसिन ने किया तथा आभार डॉ. मंधीर वर्मा ने माना।


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