Sunday, May 5, 2024
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संस्कृति विवि के साथ सीआईआईआर ने आयोजित किया अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

मथुरा। काउंसिल ऑफ इंडस्ट्रियल इनोवेशन एंड रिसर्च (सीआईआईआर) द्वारा संस्कृति विश्वविद्यालय मथुरा के साथ मिलकर शोधकर्ताओं, डेवलपर्स, चिकित्सकों और प्रोफेशनल को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस, क्रिप्टो करेंसी के क्षेत्र में विचारों के आदान-प्रदान, तालमेल और शिक्षित करने के उद्देश्य से ‘मशीन लर्निंग एंड ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजीज’ (एमएलबीटी-2022) पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन आनलाइन आयोजित किया गया। सम्मेलन में आए हुए विद्वानों ने मशीन लर्निंग और ब्लाक चैन टेक्नोलाजी की बारीकियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।


इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. के.के. अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि संस्कृति विश्वविद्यालय मथुरा के कुलाधिपति सचिन गुप्ता रहे। सम्मेलन की शुरुआत में सीआईआईआर की अध्यक्ष डॉ श्वेता सिंह ने ब्लॉकचेन और मशीन लर्निंग के महत्व के बारे में बात की । मुख्य अतिथि प्रोफेसर के के अग्रवाल ने वर्तमान समय में मशीन लर्निंग, आईओटी और ब्लॉकचैन के महत्व के बारे में बताया कि वे कैसे प्रौद्योगिकी को एक नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। साथ ही, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शोधकर्ताओं को इन अत्याधुनिक तकनीकों को ‘चुनौतियों’ के रूप में लेना चाहिए क्योंकि ये आने वाले दिनों में मानव जाति के लिए बहुत मददगार होंगी। संस्कृति विवि के कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने शिक्षा के हर स्तर पर सिखाए जाने वाली मशीन लर्निंग के महत्व को समझाया साथ ही उन्होंने सभा को यह भी बताया कि संस्कृति विश्वविद्यालय मशीन लर्निंग के सिद्धांत और उसके सहयोगी क्षेत्रों को विकसित करने, पेशेवर रूप से विकसित करने के लिए हर आवश्यक कदम उठा रहा है।


मुख्य वक्ता वियतनाम के ड्यू तांग विश्वविद्यालय के एक प्रख्यात शोधकर्ता और वैज्ञानिक डॉ. आनंद नैयर थे, जिन्होंने ‘मशीन सीखने के मूल सिद्धांतों, विशेष रूप से हमारे दैनिक जीवन में इसकी उपस्थिति और भविष्य के तकनीकी परिदृश्य में मशीन लर्निंग के साथ कैसे काम किया जा रहा है, के बारे में बात की। वाचा विश्वविद्यालय, नाइजीरिया के डॉ. संजय मिश्रा ने मुख्य भाषण दिया। उनका व्याख्यान ‘ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी के साथ मशीन लर्निंग मेथड्स के एकीकरण’ पर आधारित था। उन्होंने बताया कि इन प्रौद्योगिकियों का अधिकतम लाभ उठाने के लिए गहन शोध किए जाने की आवश्यकता है।


जापान से आमंत्रित दो वक्ता थे जिन्होंने सम्मेलन के विषय पर अधिक व्यावहारिक विचार दिए। डॉ. शोहेई काकेई, सहायक प्रोफेसर, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, नागोया प्रौद्योगिकी संस्थान, आइची, जापान। उनकी विशेषज्ञ वार्ता का शीर्षक ‘डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी द्वारा मेटा-पीकेआई’ था। डॉ. कौटारौ सुजुकी, प्रोफेसर, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, टोयोहाशी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, आइची, जापान रहे। उनका विचार-विमर्श ‘ट्रेसेबल रिंग सिग्नेचर एंड इट्स एप्लीकेशन टू अनाम क्रिप्टोकरंसी’ पर आधारित था। उनका कहना था कि क्रिप्टोकरेंसी भविष्य में वित्तीय क्षेत्र में क्रांति लाने वाली है।


तकनीकी सेशन की शुरुआत डॉ. सुनीता यादव, प्रोफेसर और एचओडी, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, अजय कुमार गर्ग इंजीनियरिंग कॉलेज, गाजियाबाद के साथ हुई, जिन्होंने ‘डीप लर्निंग’ पर एक भाषण दिया। अगले वक्ता प्रो. अनुराग मिश्रा, इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, द्वारका, दिल्ली थे जिन्होंने ‘बिटकॉइन सुरक्षा मुद्दे और उनके समाधान’ के बारे में बात की। कार्यक्रम के अंतिम वक्ता डॉ. प्रकाश श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, ग्राफिक एरा,’ब्लॉकचैन: एक उभरती हुई तकनीक’ के बारे में बात की।


जूम के माध्यम से विभिन्न देशों के विशेषज्ञ सम्मेलन से जुड़े। उन्होंने अपने विचार, ज्ञान और राय साझा की। इस सम्मेलन से प्राप्त प्रमुख परिणाम आने वाले वर्षों में मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकियों के लाभों और चुनौतियों पर चर्चा करना और जटिल समस्याओं का समाधान और इन नई तकनीकों को बढ़ावा देना था।


बताते चलें कि औद्योगिक नवाचार और अनुसंधान परिषद (सीआईआईआर) एक गैर-लाभकारी संगठन है और भारत में अग्रणी अनुसंधान,विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी नवाचार संगठन और अपने थिंक टैंक नवाचार पूल और विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यह कुल 150 वर्षों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है।

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