Saturday, May 4, 2024
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ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद केसः मंदिर पक्ष का तर्क- विवाद में लागू नहीं हो सकता वक्फ कानून

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट में सोमवार को वाराणसी में ज्ञानवापी स्थित भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर-मस्जिद मामले की सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि इस विवाद में वक्फ कानून लागू नहीं हो सकता। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी और कई अन्य याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाड्या कर रहे हैं। प्रकरण में अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होगी।

अपर सालिसिटर जनरल वरिष्ठ अधिवक्ता शशि प्रकाश सिंह ने पीठ को भारत सरकार की भूमिका के बारे में जानकारी दी और बताया कि सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने पक्ष स्पष्ट किया।

मंदिर की तरफ से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने तर्क रखे। उन्होंने कहा कि किसी धार्मिक भवन की प्रकृति का निर्धारण एक हिस्से से नहीं, बल्कि पूरी संपत्ति के साक्ष्य से तय किया जाएगा। एक हिस्से में बदलाव से पूरी संपत्ति की प्रकृति नहीं बदल सकती।

उन्होंने कहा कि संपत्ति विवाद पर पूरा साक्ष्य आने के बाद ही उसके धार्मिक चरित्र का निर्धारण किया जा सकता है। मस्जिद को वक्फ एक्ट के तहत वक्फ संपत्ति घोषित करने मात्र से वक्फ कानून उस पर लागू नहीं होगा। यह विवाद हिंदू-मुस्लिम के बीच का है। मुस्लिम समुदाय के दो धड़ों के बीच विवाद नहीं है, इसलिए इस मामले में वक्फ कानून लागू नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि यह केवल संपत्ति का ही विवाद नहीं है। करोड़ों हिंदुओं की आस्था तथा भावनाओं से जुड़ा राष्ट्रीय मामला है। विवादित स्थान लार्ड विश्वेश्वरनाथ मंदिर का है, जहां मुस्लिम समुदाय मस्जिद होने का विवाद खड़ा कर रहा है। अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर फैसले के बाद इस केस का महत्व बढ़ गया है। समय की कमी के कारण बहस पूरी नहीं हो सकी।

बता दें कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है। यहां अभी मुस्लिम समुदाय रोजाना पांचों वक्त सामूहिक तौर पर नमाज अदा करते हैं। मस्जिद का संचालन अंजुमन ए इंतजामिया कमेटी द्वारा किया जाता है। वर्ष 1991 में वाराणसी के सिविल जज की अदालत में एक अर्जी दाखिल की गई थी, जिसमें यह दावा किया गया कि जिस जगह ज्ञानवापी मस्जिद है, वहां पहले भगवान विशेश्वर का मंदिर हुआ करता था और श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी।

मुगल शासकों ने इस मंदिर को तोड़कर इस पर कब्जा कर लिया था और यहां मस्जिद का निर्माण कराया था। ऐसे में ज्ञानवापी परिसर को मुस्लिम पक्ष से खाली कराकर इसे हिंदुओं को सौंप देना चाहिए और उन्हें श्रृंगार गौरी की पूजा करने की इजाजत दी जानी चाहिए।

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