मथुरा। भक्तों को सदजीवन को अपनाने और मोह, माया को त्ःयागने का संदेश देने वाले प्रमुख भागवताचार्य मृदुलकृष्ण गोस्वामी, उनकी पत्नी समेत 5 लोगों के खिलाफ न्यायालय के आदेश पर वृंदावन कोतवाली में एफआईआर दर्ज हो गई है। आरोप है कि नामजदों ने छेड़छाड़, मारपीट एवं लूट की है। बताया जा रहा है कि यह एफआईआर 150 करोड़ की संपत्ति के विवाद में हुई है।
वृंदावन के बिहारीपुरा दुसायत निवासी देश के प्रसिद्ध कथावाचक मृदुलकृष्ण गोस्वामी उर्फ शास्त्री जो कि विश्वप्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत परिवार से भी जुड़े हुए हैं पर परिवार की ही महिलाओं ने न्यायालय के आदेश पर वृंदावन कोतवाली में दर्ज करवाई रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि पारिवारिक कलह के कारण इनके पति की पूर्व में अकाल मौत हो चुकी है। जिसके बाद वह अपने दो बच्चों के साथ घर में रह रहीं हैं।
आरोप है कि वादी एवं उसकी देवरानी 13 नवंबर 2021 को रात्रि 8 बजे बांकेबिहारी मंदिर के दर्शन कर घर लौटीं तो मृदुलकृष्ण एवं उनकी पत्नी ने राजा पंडित एवं शिवनारायण मिश्रा निवासी बिहारीपुरा और एक अन्य अज्ञात के साथ मिलकर घर में अंदर नहीं जाने दिया। गंदी गालियां दीं। जब इसका विरोध करते हुए घर में अंदर जाने का प्रयास किया तो उक्त लोगों ने मिलकर दोनों महिलाओं के साथ धक्का मुक्की करते हुए अश्लील हरकतें कीं। जिससे उनके ब्लाउज भी फट गए। इस दौरान आरोपियों ने 2 तोले की सोने की चौन भी लूट ली।
आरोप है कि आए दिन आरोपी उनका उत्पीड़न करते हैं। घटना के दौरान पूर्व नियोजित योजना बनाते हुए सीसीटीवी कैमरे भी बंद कर दिए गए। न्यायालय के आदेश पर वृंदावन कोतवाली में भागवताचार्य मृदुलकृष्ण गोस्वामी उर्फ शास्त्री, उनकी पत्नी सहित 5 लोगों के खिलाफ धारा 323, 341, 354, 392 एवं 504 आईपीसी में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है।
दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि प्रसिद्ध कथावाचक मृदुलकृष्ण गोस्वामी उर्फ शास्त्री के परिवार में करीब 150 करोड़ की संपत्ति को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। जिसमें मृदुलकृष्ण के 2 भाईयों की मौत के बाद उनकी पत्नियां एवं बच्चे कथावाचक पर संपत्ति हड़पने के आरोप लगा रहे हैं।
इसे लेकर नोएडा, वृंदावन आदि जगहों पर वह पत्रकार वार्ता कर संपत्ति हथियाने का आरोप पूर्व में लगा चुके हैं और थाने में भी रिपोर्ट दर्ज कराने का प्रयास किया था लेकिन भागवताचार्य के रसूख के सामने इनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकी। जिसके बाद पीड़ित को न्यायालय की शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा। इस संबंध में मृदुलकृष्ण गोस्वामी से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क स्थापित नहीं हो सका।