Friday, May 3, 2024
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जीएल बजाज में हवाई जहाजों के डिजाइन, निर्माण और उड़ान पर हुई कार्यशाला

  • स्काईस्टार, जयपुर से आए राजेश चंद्र अग्रवाल व कार्तिक अग्रवाल ने साझा किए विचार

मथुरा। जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में मॉडल हवाई जहाजों के डिजाइन, निर्माण और उड़ान पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस तीन दिवसीय कार्यशाला में स्काईस्टार, जयपुर से आए राजेश चंद्र अग्रवाल व कार्तिक अग्रवाल ने जी.एल. बजाज के छात्र-छात्राओं को मॉडल हवाई जहाजों के ऐतिहासिक तथ्यों के साथ ही वर्तमान समय में विमानों के निर्माण में अपनाई जा रही प्रक्रिया से अवगत कराया।


तीन दिवसीय कार्यशाला के समन्वयक प्रो. शशिकांत सिंह मैकेनिकल इंजीनियरिंग ने छात्र-छात्राओं को विषय विशेषज्ञों राजेश चंद्र अग्रवाल व कार्तिक अग्रवाल का परिचय दिया। उसके बाद विशेषज्ञों ने छात्र-छात्राओं को बताया कि प्रयोगात्मक रूप से विमान लकड़ी और कपड़े, एल्यूमीनियम या मिश्रित सामग्री से बनाए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक सामग्री के अलग-अलग मूल्यबिंदु और फायदे होते हैं, इसलिए प्लेन किट या डिजाइन पर काम करने से पहले हमें इन पर अनुसंधान अवश्य करना चाहिए।


युवा न केवल अनुसंधान करें बल्कि अपने कौशल का भी मूल्यांकन कर लें तो बेहतर होगा। उन्होंने बताया कि लकड़ी और कपड़े के संयोजन फ्रेम हल्के लेकिन कमजोर होते हैं। शुरुआती विमानों में लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता था। यह अभी भी कस्टम विमानों के लिए एक उपयोगकर्ता के अनुकूल विकल्प है। देखा जाए तो आज अधिकांश विमान एल्यूमीनियम से बने होते हैं। यह लकड़ी की तुलना में अधिक वायुगतिकीय होते हैं। मिश्रित सामग्री एल्यूमीनियम की तुलना में अधिक मजबूत और अधिक वायुगतिकीय होती है, लेकिन अधिक महंगी भी होती है।


विषय विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों से हवाई जहाज के डिजाइन के ऐतिहासिक तथ्यों को भी साझा किया। उन्होंने मॉडल हवाई जहाज के साथ डिजाइन के विभिन्न पहलुओं का प्रदर्शन भी किया। प्रशिक्षकों ने डिजाइन की पूरी प्रक्रिया से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया। कार्यशाला के पहले दिन विशेषज्ञों ने दो मॉडल हवाई जहाजों की सभी इकाइयों की व्यवस्था की। दूसरे दिन, प्रतिभागियों ने विंग्स, टेल यूनिट, स्टिक स्ट्रॉन्गर्स को इकट्ठा किया, जहां इंजन माउंट किया गया था और दोनों मॉडल हवाई जहाजों के लिए कड़े तार को झुकाकर लैंडिंग गियर तैयार किया गया।


तीसरे दिन, उन्होंने सभी भागों को एक साथ रखा, मौसम की सुरक्षा के लिए विमान को डोप किया, पीई शीट के साथ विमान इकाइयों को कवर और सिकोड़ दिया। फिर पूरी इकट्ठी इकाइयों को सूखने के लिए छोड़ दिया। अंत में उन्होंने शेष कार्य को पूरा करते हुए कॉलेज के मैदान में मॉडल हवाई जहाज को उड़ाकर दिखाया। कार्यशाला के समापन अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने विषय विशेषज्ञों को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।


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