Saturday, April 27, 2024
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ब्रजराज के जन्मोत्सव को तैयार बल्देव नगरी

  • सुबह से शाम तक भव्य उत्सवों का आनंद लेंगे बलदेव नगरवासी
  • ब्रजराज के जन्मोत्सव पर दोपहर में दधिकांधा का होगा भव्य आयोजन
  • बलदेव के विभिन्न गांवों में लगेंगे बायगीरों के मेले, क्षीरसागर में सेहरों का लगेगा ढेर

कोमल पाराशर/ चंद्र प्रकाश पांडेय
बलदेव। भाद्रपद की षुक्ल पक्ष की षष्ठी यानि कल शुक्रवार ब्रजराज का जन्म होगा। जन्म के बाद ही बधाई गायन की शुरुआत होगी। मंदिर परिसर घंटे घडियाल की सुमधुर ध्वनि से गूंज उठेगा। इस ध्वनि में बलदेव नगरवासी और दूर-दराज से आये हुए श्रद्धालु लाला की छीछी को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करने को आतुर होंगे। दोपहर में दधिकांधा का भव्य आयोजन होगा, तो देर सायं तक आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नगरवासी झूमेंगे।


भगवान श्रीकृष्ण और गणेश चतुर्थी के भव्य उत्सव के बाद ब्रजराज ठाकुर श्री दाऊजी महाराज कल जन्म लेंगे। इनके जन्मोत्सव पर मंदिर प्रबंधन ने विशेष उत्सवों के आयोजनों को भव्य और दिव्यता प्रदान करने के लिए पिछले एक माह से विशेष तैयारियों में जुटकर गुरूवार की शाम अंतिम रूप दिया। शुक्रवार की तड़के सुबह 4 बजे भक्तजनों को मंगला दर्शन होंगे। 2 घंटे मंगला दर्शन के बाद विशेष श्रृंगार में बलदाऊजी दर्शन देंगे। इसी बीच शहनाई वादन का भी आयोजन होगा। इस शहनाई की धुन मंदिर परिसर सुमधुर ध्वनि से गूंजा हुआ नजर आयेगा। श्रृंगार के बाद बाल भोग एवं आरती होगी। आरती के एक घंटे बाद सुबह 7 बजे से श्रीबलभद्र सहस्त्रनाम पाठ एवं बलभद्र महायज्ञ का भव्य आयोजन होगा, जिसमें पांडेय समाज के लोग जन्मोत्सव पर आहूति देंगे। यह सहस्त्र नाम पाठ और महायज्ञ करीब 4 घंटे तक चलेगा।


दोपहर 12 बजे ब्रजराज जन्मोत्सव पंचामृत अभिषेक होगा। अभिषेक के बाद ब्रजराज को दिव्य स्वर्ण आभूषण धारण कराये जायेंगे। आभूषण धारण होने के दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी मंदिर परिसर में रहेगी। सुरक्षा व्यवस्था के बीच ही श्रद्धालु जवाहरात धारण किए ब्रजराज के दर्शन कर सकेंगे। इसके ठीक बाद दिव्य हजारा आरती होगी और ब्रजराज राजभोग ग्रहण करेंगे। साथ ही घर-घर में पकवान, मिठाई, लड्डू, मठरी, गुजिया बना कर लोग अपने इष्ट को भोग लगाएंगे। इसके बाद ही जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में दोपहर को दधिकांधा उत्सव का आयोजन होगा। इस उत्सव में पांडेय समाज के लोग लाला की छीछी पाकर लोट-पोट होते हुए नजर आयेंगे। इसी उत्सव पर बलराम की बलशाली कहा जाता है कि इसलिए नारियल लुटाकर समाज के लोग मल्ल विद्या बतौर नारियल को पाने के लिए एक दूसरे पर अपने बल का प्रयोग करेंगे। इस दौरान ‘नंद के आनंद भयौ जय दाऊदयाल की…, बिरज में जन्मे बलदेव बधाई बाजे घर-घर मंगलचार… आदि स्वर समाज गायन में सुनाई देंगे।


दोपहर 3 बजे लड्डू का महाभोग लगेगा। इस महाभोग को पांडेय समाज के लोगों को वितरित किया जायेगा। महाभोग के बाद शाम 4 बजे कस्बा के विभिन्न मार्गों से भव्य शोभायात्रा निकलेगी। शोभायात्रा के स्वागत हेतु नगरवासी तैयार हो गए हैं। फूल मालाओं का आर्डर भी नगरवासियों ने दे दिया है। शोभायात्रा के ठीक करीब 3 घंटे बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी की लीलाओं का मंचन अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ब्रजरत्न वंदना श्री द्वारा और अन्य कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी जायेगी।

गांवों में लगेंगे बायगीरों के मेले
बलदाऊजी शेषावतार हैं। इसलिए इनके जन्मोत्सव पर बलदेव ब्लाॅक के विभिन्न गावों में बायगीरों के मेले लगेंगे। बताया जाता है कि इस मेले में बायगीरों द्वारा सर्प काटने वाले लोगों के बंद खोले जाते हैं। इस मेले में काफी भीड़ का नजारा देखने को मिलता है।

मल्ल विद्या के गुरू हैं दाऊजी महाराज
ठाकुर श्री दाऊजी महाराज को मल्ल विद्या का गुरू माना जाता है। साथ ही हल-मूसल होने के साथ वे ‘कृषक देव’ भी कहे जाते हैं। आज भी किसान अपने कृषि कार्य प्रारंभ करने से पहले दाऊजी महाराज को नमन करते हैं। पौराणिक आख्यान ब्रज के राजा पालक और संरक्षक कहे जाते हैं।

बलदेव प्रतिमा का पौराणिक महत्व
बलरामजी की विशाल प्रतिमा का श्रीकृष्ण के पौत्र ब्रजनाभ ने अपने पूर्वजों की पुण्य स्मृति में निर्माण कराया था। बलरामजी का यह विग्रह जो द्वापर युग के बाद काल शेष से भूमिस्थ हो गया था, इसके प्राक्ट्य का रोचक इतिहास है। गोकुल में महाप्रभु बल्लभाचार्य के पौत्र गोस्वामी गोकुल नाथजी को बलदेवजी ने स्वप्न दिया कि श्यामा गाय जिस स्थान पर प्रतिदिन दूध स्त्रवित कर जाती है, उस स्थान पर भूमि में उनकी प्रतिमा दबी है। उन्होंने भूमि की खोदाई करा कर श्रीविग्रह को निकाला। गोस्वामी ने विग्रह को तपस्वी कल्याणदेवजी को पूजा अर्चना के लिए सौंप दिया। इसके बाद मंदिर का निर्माण कराया गया। तब से आज तक कल्याणदेवजी के वंशज ही मंदिर में पूजा सेवा कर रहे हैं।

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