Monday, April 29, 2024
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पं. जगन्नाथ प्रसाद भक्तमाली आध्यात्मिक जगत की अमूल्य निधिः महंत बलराम दास


वृन्दावन। ब्रज के मूर्धन्य सन्त भक्तमाल के सरस व्याख्याता पं. जगन्नाथ प्रसाद ष्भक्तमाली ष् जी का त्रि दिवसीय 38वाँ प्रिया- प्रियतम मिलन महोत्सव की दूसरे दिन की श्रृंखला ज्ञान गुदड़ी स्थित श्री सीताराम भवन प्रांगण में विभिन्न आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं वैदिक कार्यक्रमों के साथ प्रारम्भ हुआ।

प्रातः से ही पं० श्री जगन्नाथ प्रसाद भक्तमाली जी की साधना स्थली ताड़वाली कुंज में भजन कीर्तन एवं श्री भक्तमाल का सामूहिक गायन संतो द्वारा प्रारम्भ हुआ तत्पश्चात श्री भरत दास जी द्वारा भक्तमाल की कथा में मीरा जी का प्रसंग श्री भक्तमाल की रस वर्षणी कथा का श्रवण भक्त श्रद्धालुओं ने किया। अपराह्न पद गायन का आनन्द ब्रजवासी एवं भक्त जनों ने लिया।


द्वितीय दिवस पर आयोजित विद्वत गोष्ठी में पीपा द्वाराचार्य श्री बलराम बाबा महाराज ने अपने भाव प्रकट करते हुए कहा कि पं. जगन्नाथ प्रसाद भक्तमाली ब्रज के अनन्य रससिक्त परम संत थे। वे ब्रज के तात्विक स्वरूप से भलीभांति परिचित थे। सही अर्थों में पंडित जी आध्यात्मिक जगत की अमूल्य निधि थे उन्हें ब्रज के कण-कण में प्रिया – प्रियतम का साक्षात्‌कार होता था। वे संत समाज के गौरव थे। भागवत के आचार्य बद्रीश ने कहा के पं ष्भक्तमाली ष् जी भक्ति जगत की निधि एवं ब्रज के अनूठे संत थे, वे भक्त भगवान को एक ही समान मानते थे। वे आजीवन भक्तमाल के माध्यम से भक्तों का गुणगान करते हुए श्यामा श्याम में समाहित हो गये। वे ब्रज की महान विभूति थे । श्री हरि बोल महाराज ने कहा कि समय – समय पर संत के रूप में मानव मात्र का कल्याण करने को स्वयं परमात्मा के अंश अवतरित होते हैं।


पंडित गिरधर शरण ने कहा कि व्यासासन पर पंडित जी जब भक्तमाल की व्याख्या व गायन करते थे तो ऐसा लगता था कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं भक्तों का गुणगान कर रहे हो। श्री भानु देवाचार्य ने कहा कि जगन्नाथ प्रसाद भक्तमाली जी अवतारी महापुरुष थे। ब्राह्मण महा सभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता पं बिहारी लाल वशिष्ठ एवं डॉ विनोद बनर्जी ने पंडित भक्तमाली जी महाराज सरलता के सागर एवं भक्ति के सुमेरु के समान बताया। स्वामी महेशानंद सरस्वती और महंत प्रह्लाद दास ने कहा कि महाराज श्री के दर्शन से अद्‌भुत आनन्द की अनुभूति होती थी। उनकी वाणी में अपरमित मधुरता एवं हृदय में अपार उदारता थी। उनका चिंतन भजन एवं गुणानुवाद परमात्मा का ही गुणगान है। विद्त गोष्ठी में हरि ओम नमः शिवाय के महंत रामदास जी, बाबा श्री किशोरी शरण ने भी अपनी भावांजलि अर्पित की।


समारोह में जिला पर्यटन अधिकारी डीके शर्मा, अनिल चतुर्वेदी, देवेंद्र शर्मा संजय शर्मा, मृदुल शर्मा, अभिराज शर्मा, राधारमण रामनारायण का सहयोग रहा संचालन प रमेश चंद्र शास्त्री एवं आभार प्रदर्शन डॉ अनूप शर्मा और स्वागत पं रसिक किशोर शर्मा ने किया।

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