Sunday, April 28, 2024
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संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने पोस्टरों से बताए रैंगिंग के दुष्परिणाम

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में रैंगिग को रोकने के लिए संस्कृति स्कूल आफ एजूकेशन द्वारा एक पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। पोस्टर प्रतियोगिता का विषय था ‘से नो टू रैंगिंग (रैंगिंग को कहें न)’। विद्यार्थियों के बीच जागरूकता लाने वाली इस प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने चित्रों के माध्यम से रैंगिग जैसी बुराई को विस्तार से समझाया उसके दुष्परिणामों को भी दिखाया और आपसी प्रेम की आवश्यकता का भी चित्र खींचा।


‘स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग’, ‘स्कूल ऑफ बेसिक एप्लाइड साइंस’, ‘स्कूल ऑफ फार्मेसी’, ‘स्कूल ऑफ स्पेशल एजुकेशन’, ‘स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडी’, ‘स्कूल ऑफ एजुकेशन’ के रूप में विभिन्न स्कूलों के 37 छात्रों ने भाग लिया। इस आयोजन के प्रतिभागियों ने पोस्टरों की सहायता से यह संदेश दिया है कि रैगिंग की सजा ‘जेल’ भी हो सकती है। यह छात्रों को अपना अध्ययन बंद करने में बाधा डाल सकता है जो कि नहीं होना चाहिए। रैगिंग एक अपराध है, इसलिए व्यक्तित्व को सही दिशा में विकसित करने के लिए हमें रैगिंग पर अंकुश लगाना चाहिए।


कार्यक्रम के दौरान नर्सिंग स्कूल के प्राचार्य डा.केके पाराशर ने एंटी रैगिंग कानून के बारे में छात्र-छात्राओं को विस्तार से जानकारी दी और इसके दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला। पोस्टर प्रतियोगिता की समन्वयक संस्कृति स्कूल आफ एजूकेशन की शिक्षिका संगीता सिंह व सह समन्वयक तन्वी शर्मा थी।

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