विजय कुमार गुप्ता
मथुरा- राष्ट्रीय और कांग्रेस पार्टी दोनों के झंडे एक जैसे तिरंगे क्यों हैं? यह प्रश्न अक्सर लोगों के जहन में कोंधता रहता है। भले ही राष्ट्रीय झंडे में अशोक चक्र है और कांग्रेस पार्टी के झंडे में चरखा लेकिन चरखा और चक्र का अंतर दूर से दिखाई नहीं देता।
देश की आन बान और शान के प्रतीक तिरंगे झंडे की शान तो अलग ही होनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी का भी उसी के जैसा तिरंगा झंडा होना उसकी आन बान और शान में बट्टा लगाता है। झंडा राष्ट्र की अस्मिता का सवाल है। इसी झंडे की खातिर तो राजा मानसिंह ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
एक ओर तो हम अपने राष्ट्रीय ध्वज के साथ तिल भर भी उन्नीस बीस होने पर हाय तौबा मचाते हैं और दूसरी ओर उसके समकक्ष दूसरा डुप्लीकेट झंडा खड़ा करके जरा भी शर्मिंदगी नहीं महसूस कर रहे। यह देश का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है। जरा सोचो कि जब हम राष्ट्रगान गाते हैं तो मुंह से निकलता है कि विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा। तिरंगा तो कांग्रेस का भी है तो क्या ऐसा नहीं लगता कि हम अपने देश की अस्मिता के प्रतीक तिरंगे के साथ-साथ एक राजनैतिक पार्टी के झंडे को भी अपनीं सलामी ठोक रहे हैं।
दरअसल आजादी के बाद कांग्रेस ने चालाकी चलते हुए राष्ट्र और अपनी पार्टी दोनों का झंडा एक जैसा बना लिया और लोगों को चकमा देने के लिए चरखा और चक्र का अंतर कर दिया। हालांकि उस समय भी कुछ लोगों ने इसका विरोध किया किंतु उनका विरोध चल नहीं पाया और अनसुनी करते हुए मनमाना निर्णय ले लिया। उस समय बहुत ज्यादा विरोध इसलिए भी नहीं हुआ कि कांग्रेस पार्टी का आजादी दिलाने में बहुत बड़ा योगदान भी था।
जिस प्रकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश हित में एक से बढ़कर एक बड़े और साहसिक निर्णय लिए उसी प्रकार राष्ट्रीय झंडे के जैसे कांग्रेस के झंडे को बदलवाने का काम भी राष्ट्र धर्म निभाते हुए तुरंत करना चाहिए। इस समय तो उनके पास दो तिहाई बहुमत भी है या फिर सर्वोच्च न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेते हुए इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।