Friday, April 26, 2024
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सरकारी स्कूल बदहाल, कक्षाओं में घूम रहे हैं आवारा जानवर, शौचालयों में लगे हैं ताले


कोसीकलां। विकास खण्ड छाता के बठैन खुर्द में संचालित प्राथमिक पाठशाला एवं पूर्व माध्यमिक संविलियत विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। अभी तक सरकार द्वारा बच्चों को दी जाने वाली पाठ्य पुस्तकें एक कमरे में बंद हैं, बच्चों को वितरित नहीं की गई है। बठैन खुर्द में स्थित सरकारी विद्यालय में ग्रामीण बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।


विद्यालय बठैन खुर्द में तैनात 7 अध्यापक एवं तीन शिक्षामित्र कई माह से तक शिक्षण कार्य नहंी कर रहे हैं। इसका प्रमाण कक्षाओं के ब्लैक बोर्ड पर लिखी करीब 7 माह पुरानी तारीख है। वही विद्यालय में अक्षय पात्र से आने वाले मिड डे मील भी विद्यालय के छात्र छात्राएं स्वयं लेकर खा रहे हैं। स्कूल में 168 बच्चों का रजिस्टे्रशन है जबकि पढ़ने के लिए मात्र 15 से 20 बच्चे स्कूल आ रहे हैं। कक्षाओं में आवारा जानवर घूम रहे हैं। जिससे बच्चों को बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है।


विद्यालय में न बच्चों के लिए पीने का पानी है न ही शौचालय की व्यवस्था है। गांववासियों का इतना नहीं अध्यापकों पर स्कूल में आकर सोने का भी आरोप है। बठैन खुर्द स्थित पूर्व माध्यमिक एवं प्राथमिक विद्यालय निओ न्यूज़ की टीम के माध्यम से आपको दिखाये जा रहे हैं। विद्यालय में स्कूल के खुलने के समय में कक्षाओं में छात्र नदारद हैं। छात्रों के बैठने की पट्टियां एवं टेबिले खाली हैं।


स्कूल में शिक्षण कार्य न होने का अहसास इसी बात से हो गया जब विद्यालय के छात्र एवं छात्राओं को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं मथुरा जिले का उच्चाधिकारियों के नाम तक नहीं पता। अध्यापकों की लापरवाही की हद तो तब हो गई जब सरकार के द्वारा बच्चों को पढ़ने के लिए दी जाने वाली पाठ्य पुस्तकें भी विद्यालय के कार्यालय में बंद मिली नजर आई।


बठैन गांव के प्रधान भानु ने बताया कि उनके गांव का स्कूल बदहाल है। 168 बच्चे रजिस्टर्ड हैं इनमें स्कूल में मात्र 15 से 20 बच्चे ही आ रहे हैं। अध्यापक यहां आकर सोते हैं। महिला अध्यापक स्वेटर बुनती हैं। शौचालय में ताला लगा है। बच्चों को पीने का पानी नहंी है। स्कूल परिसर और कक्षाओं में आवारा कुत्ते घूम रहे हैं। बच्चों को अपने देश के प्रधान मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री का भी नाम नहीं पता है।

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