Friday, March 29, 2024
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मां के समान होती है हर संस्थाः प्रो. डी.एस. चौहान


जी.एल. बजाज में प्रो. चौहान का स्वागत डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने किया
अंत्योदय दिवस के रूप में मनी पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती


मथुरा। जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में शनिवार को पंडित दीन दयाल उपाध्याय की 105वीं जयंती अंत्योदय दिवस के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. डी.एस. चौहान पूर्व कुलपति अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लखनऊ ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने ही अंत्योदय का नारा दिया था।

अंत्योदय का अर्थ समाज के अंतिम छोर तक आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े वर्ग के लोगों का उदय या विकास करना है। मुख्य अतिथि प्रो. चौहान, संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी तथा प्राध्यापकों ने पंडित उपाध्याय के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर उनका स्मरण किया। प्रो. डी.एस. चौहान का स्वागत आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने पुष्प गुच्छ भेंटकर किया।

प्रो. चौहान ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय कहते थे कि कोई भी देश अपनी जड़ों से कटकर कभी भी विकास नहीं कर सकता। वह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने कुशल चिंतक, संगठक, लेखक, साहित्यकार, शिक्षाविद्, समाज सेवक, राजनीतिज्ञ, वक्ता और पत्रकार के रूप में इस समाज का मार्गदर्शन किया है। यह खुशी की बात है कि ऐसी शख्सियत का जन्म आज के ही दिन 25 सितम्बर, 1916 को पवित्र ब्रजभूमि मथुरा जिले के छोटे से गांव नगला चंद्रभान में हुआ था। उनका बचपन काफी कठिन दौर से गुजरा था। हालांकि उन्होंने जीवन के तमाम उतार-चढ़ाव में भी खुद को कभी डगमगाने नहीं दिया बल्कि अपना हर कदम आगे बढ़ाते रहे।

प्रो. चौहान ने प्राध्यापकों और छात्र-छात्राओं को बताया कि हर संस्था एक मां की तरह होती है, जोकि अपने सभी कर्मचारियों का ख्याल रखती है। जैसे मां को अपने सभी बच्चों के बारे में पता होता है, वैसे ही अध्यापक को अपने कक्षा के सभी छात्र-छात्राओं के बारे में पता होता है। प्रो. चौहान ने कहा कि अध्यापक और छात्र का रिश्ता हमेशा रहता है, छात्र हमेशा अध्यापक के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अध्यापक और छात्र सम्बन्धों पर भी विस्तार से जानकारी दी तथा कहा कि विद्यार्थी को ऐसे पढ़ाया जाए ताकि वह अपने देश और अध्यापक का नाम रोशन करे। उन्होंने कहा कि अध्यापक को ऐसे नोट्स तैयार करने चाहिए जोकि छात्र-छात्राओं को आसानी से समझ में आ जाएं। प्रो. चौहान ने कहा कि एक कुशल शिक्षक कक्षा में छात्र-छात्राओं के चेहरे को देखकर बता सकता है कि उन्होंने जो पढ़ाया है, वह बच्चों की समझ में आया भी है या नहीं।

संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने स्वागत भाषण देते हुए मुख्य अतिथि प्रो. डी.एस. चौहान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह जी.एल. बजाज संस्थान के लिए खुशी की बात है कि उन्होंने अपना बेशकीमती समय और अपने अनुभव साझा किए। प्रो. अवस्थी ने भी पंडित दीन दयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पंडित उपाध्याय राजनीतिज्ञ नहीं बल्कि समाज का भला सोचने वाली विलक्षण शख्सियत थे। इस अवसर पर डॉ. भोले सिंह, डॉ. मंधीर वर्मा, डॉ. रमाकान्त बघेल, उदयवीर सिंह, निशान्त कुमार, नक्षत्रेश कौशिक आदि उपस्थित थे।

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