Saturday, May 4, 2024
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यूपीः सपा प्रमुख अखिलेश की सहयोगी दलों के साथ बैठक में नहीं पहुंचे शिवपाल यादव


लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को सहयोगी दलों के साथ बैठक की। बैठक में शामिल सभी दलों ने एकजुटता से आगे भी मजबूती से चुनाव लड़ने की बात कही। हालांकि बैठक में प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव नहीं शामिल हुए। सपा कार्यालय पर हुई इस बैठक में सुभासपा से ओमप्रकाश राजभर, जनवादी पार्टी से डॉ. संजय चौहान, महान दल से केशव देव मौर्या, रालोद से राजपाल बालियान, अपना दल कमेरावादी से पंकज निरंजन शामिल हुए।

बैठक में सभी ने कहा जिस तरह से सभी सहयोगी दलों ने मिलकर मजबूती से यह चुनाव लड़ा है, उसने विरोधियों के सामने बड़ी चुनौती पेश की है। लोकसभा चुनाव में और मजबूती से चुनाव लड़ा जाएघा। साथ ही सदन में हर मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा। इस बैठक में शिवपाल यादव नहीं शामिल हुए। बताया गया कि वे इटावा में थे। माना जा रहा है कि शिवपाल इससे पहले हुई सपा की बैठक में न बुलाए जाने से खासे नाराज हैं और उन्होंने इस बाबत सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से भी शिकायत की है। वे दिल्ली गए थे जिसे लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। हालांकि शिवपाल ने इस बाबत कुछ भी बोलने से इनकार किया है।


सपा के सिंबल पर लड़े थे चुनाव
सपा से गठबंधन के बाद शिवपाल ने न सिर्फ अखिलेश को अपना नेता घोषित किया बल्कि यहां तक कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेंगे। सपा से गठबंधन के बाद उम्मीद थी कि प्रसपा नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा, लेकिन सिर्फ शिवपाल चुनाव लड़े, वह भी साइकिल के सिंबल पर। ऐसे में प्रसपा के तमाम वरिष्ठ नेता दूसरे दलों का रुख कर गए। इसके बाद भी शिवपाल चुनाव मैदान में लगे रहे।


करहल सीट पर भी अखिलेश के लिए किया प्रचार
उन्होंने अपनी विधानसभा के साथ अखिलेश की करहल सीट पर भी प्रचार किया। तीसरे चरण का चुनाव पूरा होने के बाद सपा में शिवपाल को स्टार प्रचारक घोषित किया गया। सप्ताह भर तक वह कार्यक्रम मिलने का इंतजार करते रहे। शिवरात्रि से ठीक पहले उन्हें पूर्वांचल दौरे पर भेजा गया। उन्होंने मल्हनी सहित जिन विधानसभा क्षेत्रों में जनसभा की, वहां सपा का परचम लहराया। ऐसे में चर्चा चली कि इनाम के तौर पर उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। लेकिन अखिलेश के लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद इस चर्चा पर विराम लग गया। चाचा-भतीजे के बीच चल रही अंतरद्वंद्व का खुलासा तब हुआ, जब शिवपाल को सपा के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में बुलाया नहीं गया।

बैठक में न बुलाए जाने से आहत शिवपाल ने एक टीवी चौनल पर कहा कि वह सपा की सक्रिय सदस्यता लेने के बाद विधायक बने हैं। सभी विधायकों को फोन कर बुलाया गया, लेकिन उन्हें नहीं। दो दिन राजधानी में रहकर इंतजार कर रहे थे। फिर भी बुलावा नहीं आया तो अब इटावा जा रहे हैं।

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