मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में ‘खाद्य प्रसंस्करण और भंडारण तकनीकों में नवीनता और उपयोगिता’ पर एक नेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में विशेषज्ञ वक्ताओं ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण और भंडारण तकनीकि में स्टार्टअप बड़ी भूमिका निर्वाह कर रहे हैं और विद्यार्थी इनमें बढ़ोत्तरी कर नए मुकाम हासिल कर सकते हैं।
मुख्य अतिथि राम कृष्णन, उप निदेशक, एमएसएमई डीसी नई दिल्ली ने प्रसंस्करण और भंडारण तकनीकों के क्षेत्र में एमएसएमई की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में खाद्य भंडारण तकनीकों के क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। एमएसएमई के तहत विभिन्न योजनाओं को कोलैटरल बैंक के बिना उद्योग शुरू करने के बारे में जानकारी दी।
विशिष्ट अतिथि एम.के. शर्मा, सहायक सहायक निदेशक, एमएसएमई डीआई दिल्ली ने छात्रों को उद्यमी बनने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि खाद्य पदार्थों का प्रसंस्करण और भंडारण उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और भारत सब्जियों के फलों के उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन खराब भंडारण सुविधा और कोल्ड चेन की कमी है। उन्होंने कहा कि हमारे पास केवल आलू के लिए कोल्ड स्टोरेज है लेकिन वैज्ञानिक कोल्ड स्टोरेज विकसित करने की सुविधा और तकनीक की कमी के कारण बची हुई सब्जियों का भंडारण नहीं किया जा रहा है।
शेफ सुनील सोनी ने भोजन की गुणवत्ता और स्वाद को बेहतर बनाने के लिए नए एडिटिव्स को मिलाने के महत्व और तरीकों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि होटल उद्योग में युवा प्रबंधन छात्रों के लिए होटल प्रबंधन के क्षेत्र में करियर शुरू करने की व्यापक गुंजाइश है। ऐसे छात्रों को इन उपयोगी बातों को सीखने से अपने काम में बड़ी सफलता मिल सकती है।
कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ प्रबंधक सुश्री अनुजा गुप्ता के स्वागत भाषण से हुई। सेमिनार में संस्कृति विवि के प्रो वीसी डा. राकेश प्रेमी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि संस्कृति विवि निरंतर प्रयासरत है कि विद्यार्थियों को हर क्षेत्र में उपयोगी और नवीनतम ज्ञान हासिल हो सके। इसी क्रम में इस राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में प्रोफेसर नरेंद्रनाथ के अलावा विभिन्न स्कूलों के डीन और एचओडी मौजूद रहे। सेमिनार का समापन सीआरसी की महाप्रबंधक सुश्री प्रभा तिवारी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।