Thursday, April 25, 2024
Homeशिक्षा जगततनावमुक्त रहने में प्रेरणादायक पुस्तकें सहायकः विश्वरूपा

तनावमुक्त रहने में प्रेरणादायक पुस्तकें सहायकः विश्वरूपा

  • जीएल बजाज में हुई तनाव प्रबंधन पर कार्यशाला


मथुरा। अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस से एक दिन पूर्व शनिवार को जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा द्वारा आयोजित तनाव प्रबंधन कार्यशाला में प्राध्यापकों और छात्र-छात्राओं को शुभकल्याण की संस्थापक, मुख्य अतिथि विश्वरूपा ने मानसिक तनाव से मुक्ति के उपाय बताए। उन्होंने कहा कि यदि जीवन में तनावमुक्त रहना है तो नकारात्मक लोगों, स्थानों और चीजों से दूर रहें तथा प्रेरणादायक पुस्तकों का अध्ययन करें।


मुख्य अतिथि विश्वरूपा ने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक दौर में हर इंसान किसी न किसी रूप में तनावग्रस्त है। इसे हम डिप्रेशन या अवसाद भी कह सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति के तनाव की वजह एक समान नहीं होती। कोई अपने बिजनेस को लेकर परेशान है तो कोई फ्यूचर को लेकर, किसी को दूसरों का व्यवहार पसंद नहीं तो कोई मनमुताबिक सफलता न मिलने से परेशान है यानी भौतिकवादी जीवन व तकनीकी प्रगति ने लगभग हर व्यक्ति को तनावग्रस्त कर दिया है, ऐसे में खुशहाल जिन्दगी कैसे बसर की जाए इन सब बातों पर स्वविवेक से निर्णय लेना होगा।


पिछले आठ साल से मनोविज्ञान के जरिए मानव कल्याण के महती कार्य में प्राणपण से जुटीं विश्वरूपा ने कहा कि हमारे समाज में नशे का चलन भी काफी बढ़ गया है। यह नशा नाश की जड़ है। नशे की गिरफ्त में हमारा देश ही नहीं समूची दुनिया आ चुकी है। लोगों को नशे से होने वाली परेशानियों से छुटकारा दिलाने तथा उन्हें जागरूक करने के लिए ही 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर विश्व में नशीली दवाओं की समस्या से निपट सकते हैं।


शुभकल्याण की संस्थापक विश्वरूपा ने कहा कि उनका दृष्टिकोण हर इंसान को उसकी ताकत की पहचान कराने तथा उसकी कमजोरियों का प्रबंधन करने में मदद करना है। उन्होंने जीएल बजाज के छात्र-छात्राओं को तनावमुक्त रहने के उपाय बताते हुए कहा कि हम व्यायाम के माध्यम से भी तनाव को कम कर सकते हैं क्योंकि व्यायाम मस्तिष्क में एंडोर्फिन की रिहाई को बढ़ावा देता है। विश्वरूपा ने कहा कि तनावरहित रहना है तो नकारात्मक सोच रखने वाले लोगों से दूर रहें, प्रेरणादायक पुस्तकों का अध्ययन करें।


संगीत सुनने से भी हमारे मन और शरीर पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ सकता है लिहाजा तनाव दूर भगाने के लिए धीमा, शांत शास्त्रीय संगीत सुनें। हर दिन कम से कम आधा घंटा अपने लिए आरक्षित रखें। इस समय का उपयोग रचनात्मक कार्यों में करें। उन्होंने बताया कि मेडिटेशन यानी कि ध्यान से भी हम अपने मन को शांत रख सकते हैं। तनाव से स्वयं निपटने में कठिनाई भी आ सकती है लिहाजा जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ मनोचिकित्सक से परामर्श जरूर लें। संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने विश्वरूपा जी का बहुमूल्य समय देने के लिए आभार माना। कार्यक्रम का संचालन वूमेन सेल की डॉ. स्नेहलता कश्यप ने किया। कार्यशाला में डॉ. शिखा गोविल, मेधा खेनवार, डॉ. नक्षत्रेश कौशिक, दिव्या गुप्ता, तानिया बेरा आदि मौजूद रहे।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments