Wednesday, April 24, 2024
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नई तकनीक से बनाएं शिक्षण कार्य को सरल व प्रभावीः लोकेश एन. दारिरा

  • राजीव इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षकों को दिया कक्षा-कक्ष प्रबंधन का प्रशिक्षण


मथुरा। राजीव इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षा के स्तर को और बेहतर करने के लिए गुरुवार को कक्षा-कक्ष प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया। यूफियस लर्निंग के तत्वावधान में आयोजित क्लास रूम मैनेजमेंट कार्यशाला में मुख्य वक्ता लोकेश एन. दारिरा (एवीपी) ने शिक्षकों को कक्षा प्रबंधन का विशेष प्रशिक्षण देते हुए कहा कि हम नई तकनीक का प्रयोग कर शिक्षण कार्य को सरल और प्रभावी बना सकते हैं।


श्री दारिरा ने शिक्षक-शिक्षिकाओं को छात्र-छात्राओं के व्यवहार को नियंत्रित करने के उपाय बताए तथा सामान्य रूप से कक्षा-कक्ष में आने वाली समस्याओं को हल करने के गुर भी सिखाए। उन्होंने शिक्षकों को बताया कि किस प्रकार से हम नियम व प्रक्रिया में निहित अंतर को समझते हुए अपने शिक्षण कार्य को निखार सकते हैं। प्रशिक्षक श्री दारिरा ने कहा कि हम नई-नई तकनीक के उपयोग से जहां शिक्षण कार्य को सरल व प्रभावी बना सकते हैं वहीं छात्र-छात्राओं की सीखने की क्षमता में भी इजाफा कर सकते हैं।


प्रशिक्षक दारिरा ने बताया कि जब हम किसी विषय को बेहतर तरीके से समझाएंगे तो विद्यार्थी भी उसे जल्द सीखेंगे। श्री दारिरा ने शिक्षकों को कक्षा प्रबंधन के अंतर्गत व्यवहार प्रबंधन, समय प्रबंधन व विषय वस्तु संबंधी प्रबंधन आदि के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने शिक्षकों से उनके अनुभवों के बारे में भी जानकारी ली। कार्यशाला में क्लास रूम मैनेजमेंट की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया गया। प्रशिक्षक दारिरा ने कहा कि शिक्षकों को कक्षा प्रबंधन अवश्य सीखना चाहिए ताकि उन्हें हर स्तर के विद्यार्थी को शिक्षित करने में मदद मिल सके।


आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि मौजूदा हालातों को देखते हुए शिक्षकों के कंधों पर आज बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। एक कुशल शिक्षक वही है जोकि छात्र-छात्राओं के रुझान को समझते हुए अध्यापन करे। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि ऐसी कार्यशालाओं से शिक्षकों को नई शिक्षा प्रणाली से रूबरू होने का मौका मिलता है।


संस्थान के प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल में समय-समय पर ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को अपडेट करना है। श्री अग्रवाल ने कहा कि किसी भी विषय को यदि रुचिकर ढंग से पढ़ाया जाए तो छात्र-छात्राएं कक्षा में बोरियत महसूस नहीं करेंगे। शिक्षा का उद्देश्य तभी सार्थक हो सकता है जब छात्र-छात्राएं उस विषय को बिना परेशानी समझ सकें।


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