Wednesday, May 8, 2024
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गांधी जी का जीवन ही उनका संदेश : सुजाता

  • जन सांस्कृतिक मंच की ‘वर्तमान संदर्भ और गांधी जी’ विषय गोष्ठी आयोजित

मथुरा। गांधी जी की शख्सियत को लेकर नोबेल पुरस्कार को ठुकरा देने वाले जार्ज बर्नाड शॉ ने कहा था कि गांधी हिमालय के समान हैं, मुझ जैसा सामान्य व्यक्ति हिमालय की ऊंचाई कैसे नाप सकता है? गांधी जी के मन में किसी के भी लिए नफरत नहीं थी। आज लोग गांधी को बिना जाने, समझे अनाप शनाप बोल रहे हैं।


यह विचार रविवार को गोविंद नगर स्थित एक होटल मे जन सांस्कृतिक मंच द्वारा ‘वर्तमान संदर्भ और गांधी जी’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में प्रख्यात गांधीवादी चिंतक और लेखिका डॉ. सुजाता चौधरी ने व्यक्त किए, उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों को वर्तमान सन्दर्भ में ज्यादा प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि गांधी के राम जन जन के राम हैं, राम उनके मन में इस कदर बसे हुए थे कि जब नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोली मारी, तब भी उनके मुख से राम शब्द जी निकल। गांधी जी ने नरसी मेहता के भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीड़ पराई जाने रे’ को सिर्फ गाया ही नहीं बल्कि अपने नित्य आचरण में उतार कर ‘मेरा जीवन ही मेरा संदेश’ का संदेश दिया। आज जरूरत इस बात की है हम सब गांधी जी को पढ़ें, समझें और उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रयास करें।


गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जीएलए विश्वविद्यालय के प्रो.वाइस चांसलर डॉ. अनूप गुप्ता ने गांधी जी के जीवन को एकदम पारदर्शी बताते हुए कहा कि गांधी जी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था। गांधी जी ने हर धर्म की अच्छी बातों को अंगीकार किया, उनमें मानवता व देशभक्ति अंतर्निहित थी। वर्तमान समय में गांधी जी के संदेशों की आवश्यकता समूचे विश्व को है। गांधी जी सत्य, अहिंसा, प्रेम के सच्चे पूजारी थे।


गोष्ठी में मंच के पूर्व अध्यक्ष डॉ आर के चतुर्वेदी, डॉ. हरवंश चतुर्वेदी, डॉ अशोक बंसल, शिवदत्त चतुर्वेदी, एडवोकेट मधुवन दत्त चतुर्वेदी, उपेंद्रनाथ चतुर्वेदी, बीएम मेहता, पत्रकार किशन चतुर्वेदी, विवेक दत्त मथुरिया, सौरभ इंसान, सुनील आचार्य, प्रो मेनका गुप्ता, प्रो प्रतिभा, कैलाश वर्मा, लता चौहान, राकेश भार्गव, मंच के अध्यक्ष मुरारीलाल, टीकेन्द्र शाद, संजय भटनागर, साधना भार्गव, शशि बंसल, सुनील आचार्य, मुकेश सारस्वत आदि रहे। गोष्ठी का संचालन मंच के सचिव डॉ. धर्मराज ने और आभार कार्यक्रम संयोजक रवि प्रकाश भारद्वाज ने किया।

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