Thursday, April 25, 2024
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संस्कृति विवि में ‘प्रगति से प्रकृति पथ तक’ साइकिल यात्रा का स्वागत

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय पहुंची ‘प्रगति से प्रकृति पथ तक’ साइकिल यात्रा का जोरदार स्वागत किया गया। साइकिल यात्रा का नेतृत्व कर रहे पद्मश्री डा. अनिल प्रकाश जोशी ने संस्कृति विवि के सभागार में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह यात्रा दो अक्टूबर को देश की फाइनेंशियल राजाधानी से शुरू होकर देश की इकोलाजिकल राजधानी उत्तराखंड में नौ नवंबर को पहुंचेगी। यात्रा का उद्देश्य लोगों को प्रकृति से जोड़ना है।


डा. जोशी ने कहा कि देश और दुनिया आज एक बड़े बुरे दौर से गुजर रही है। इसके कई पहलू हैं। आधी से ज्यादा दुनिया शहरों में पहुंच गई है और दूसरी तरफ गांव खाली होते जा रहे हैं। शहर फटने की स्थिति में हैं और गांव भुतहा बना दिए गए हैं। पहले शहर अच्छे लगते थे पर अब बुराइयों का गढ़ हो गए हैं। देश दुनिया की प्रगति शहरों पर केंद्रित नहीं हो सकती। समुद्र कूड़ा-कबाड़ के बीच में डूब गया और पहाड़ टूटने को हैं तो प्लास्टिक के पहाड़ों ने जगह बना ली है। प्रकृति के संसाधनों का लेखा जोखा मिट्टी, पानी हमारे पास किसी भी रूप में नहीं रहा। मतलब बड़ा साफ है कि जीडीपी ने हमारा सब कुछ ले लिया। दवाओं का दौर बढ़ चुका है और एक से एक नई बीमारियों ने हमें घेर लिया है। शायद यही हमारी 200 साल में सबसे बड़ी भूल रही कि हमने परिस्थितिकी को नहीं समझा। अब समय आ गया है, अब भी नहीं चेते तो फिर कभी नहीं चेतेंगे।


उन्होंने कहा कि यह यात्रा प्रकृति के लिए लोगों को एक साथ जोड़ने की यात्रा है। सभी वर्ग की भागीदारी जुटाने की पहल है। ये समुद्र से हिमालय तक के लोगों को जोड़ने और जुटाने की मुहिम है। आर्थिकी से लेकर पारिस्थिकी के संतुलन की यात्रा है। प्रकृति व प्रभु के प्रति समान समझ बनाने की यह यात्रा कई तरह के सामुहक सवालों और समाधानों के लिए होगी। एक तरफ आम जन इसका हिस्सा बनेंगे वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक, अभिनय, औद्योगिक घारानों की भागीदारी भी सुनिश्तित करने का प्रयत्न होगा। प्रकृति सबकी है इसलिए हर वर्ग को इसके प्रति कृतज्ञता भी जतानी है। ये यात्रा ऐसी ही कोशिशों का परिणाम है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि आप सबको इसकी आवाज बनना है और इसके साथ खड़े होना है।


इस मौके पर संस्कृति विवि के रजिस्ट्रार एडमिनिस्ट्रेशन तुषार शर्मा, एडमिनिस्ट्रेटिव आफिसर मनु नरवाल ने पद्मश्री डा. जोशी को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। साइकिल यात्रा में चल रहे प्रकृति प्रेमियों का भी विश्वविद्यालय द्वारा स्वागत व सम्मान कर हौसला आफजाई की गई।

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